राधा
मायूस है ..!
उन्होंने बताया,
जब आप अनशन पर होते हैं,
तब पता चलता है,
भूख क्या होती है,
आपका पेट आपसे बात करता है,
आपके हाथ,आपके पाँव,आपसे बात करते हैं,
उन्होंने नहीं बताया कि,
आपका दिमाग आपसे निगोशिएट करता है,
उन्होंने बताया,
जब आप अनशन पर होते हैं,
तब पता चलता है,
भूख क्या होती है,
आपका पेट आपसे बात करता है,
आपके हाथ,आपके पाँव,आपसे बात करते हैं,
उन्होंने नहीं बताया कि,
आपका दिमाग आपसे निगोशिएट करता है,
कहता है,
छोड़ो ये अनशन और राजनीति में आ जाओ,
संसद में सबसीडी में बढ़िया खाना मिलता है,
रहने को बढ़िया बंगला,
और आने जाने का भत्ता मिलता है,
बहुत भूखे रह लिए पूरे नौ दिन,
छोड़ो अनशन, अब बंसी बजाओ,
राधा को तो अब नाचना ही है,
संसद में आओ,
राधा को नचाओ,
वो बलिदान करने बैठे थे,
दिमाग की बात मान ली,
अनशन का बलिदान हो गया,
राजनीति में आने का ऐलान हो गया,
नौ मन तेल हो गया,
राधा मायूस है,
उसे अब नाचना जो है,
छोड़ो ये अनशन और राजनीति में आ जाओ,
संसद में सबसीडी में बढ़िया खाना मिलता है,
रहने को बढ़िया बंगला,
और आने जाने का भत्ता मिलता है,
बहुत भूखे रह लिए पूरे नौ दिन,
छोड़ो अनशन, अब बंसी बजाओ,
राधा को तो अब नाचना ही है,
संसद में आओ,
राधा को नचाओ,
वो बलिदान करने बैठे थे,
दिमाग की बात मान ली,
अनशन का बलिदान हो गया,
राजनीति में आने का ऐलान हो गया,
नौ मन तेल हो गया,
राधा मायूस है,
उसे अब नाचना जो है,
अरुण कान्त शुक्ला
(8 अगस्त, २०१२)
No comments:
Post a Comment