Friday, August 17, 2012

बस वक्त तो मेरा आने दो ..


बस वक्त तो मेरा आने दो     

अंधियारों से न खौफ खाओ, बस इस वक्त को गुजर जाने दो
रोशन होगी सुबह बस्ती सारी, बस इस रात को गुजर जाने दो

तुमने तो काट लिया जंगल पूरा, बस इक शजर को रह जाने दो
न रोने का मेरा वादा है तुमसे , बस इक आखरी अश्क को बह जाने दो 

बेगार करूँगा मैं कल भी दिन भर, बस आज थोड़ा अब सुस्ताने दो
न मांगूंगा अपने लिए मैं रोटी कभी, बस बच्चे को मेरे कुछ खाने दो

न माँगा है रहम न मांगूंगा कभी, बस तेरे जुल्मों का घड़ा भर जाने दो
तू मांगेगा भी तो न करूँगा रहम कभी, बस वक्त तो मेरा आने दो

अरुण कान्त शुक्ला                                                21फरवरी, 2012       

No comments:

Post a Comment