Thursday, August 16, 2012

मठ में लग गया ताला ..


मठ में लग गया ताला

लगी थी सभा मठ में,
सब थे संत,
एक ही था फ़कीर,
एक ही था फ़कीर,
लगा चीखने लेके हाथ में अखबार,
बिल्ली आ गई, बिल्ली आ गई,
थैले से बाहर,
मची खुसर पुसर संतन के बीच,
बिल्ली तो तभी आ गई थी,
थैले से बाहर,
जब फ़कीर झोली फैलाकर,
तुमने माँगी थी भीख,
भीख माँगने वालों का है,
आज बोलबाला,
खत्म हुई सभा,
मठ में लग गया ताला,

अरुण कान्त शुक्ल
16 अगस्त 2012

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