खुशी
जख्म परायों ने दिए,
मैं मुस्कराता रहा,
जख्म तुमने दिए,
मैं हँस दिया,
मैं मुस्कराता रहा,
जख्म तुमने दिए,
मैं हँस दिया,
बेवफाई के दौर से गुजरते
हैं सभी,
मैं भी गुजरा,
बेवफाई जब तुमने की,
मैं हंस दिया,
मैं भी गुजरा,
बेवफाई जब तुमने की,
मैं हंस दिया,
गुम्बद मीनार पर चढ़कर,
इतराने लगा,
तब नींव का पत्थर,
उसके गुरुर पर हंस दिया,
मुश्किलें बहुत आईं
जिन्दगी में,
मुस्करा कर झेल गया,
पर, जब मुश्किल तुमने पैदा
की,
नादानी पर तुम्हारी हंस दिया,
अरुण कान्त शुक्ला
26/5/2017
बेहतरीन पंक्ति—
ReplyDeleteगुम्बद मीनार पर चढ़कर,
इतराने लगा,
तब नींव का पत्थर,
उसके गुरुर पर हंस दिया,
वाह..
सादर—
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---and---
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धन्यवाद साहू जी..
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