घुप्प, शुभ्र घना कोहरा
घुप्प, कारी अमावस की रात के
अँधेरे को
परास्त कर देता है
एक छोटे से टिमटिमाते दिए का
प्रकाश
पर घुप्प, शुभ्र घने कोहरे को
कहाँ भेद पाता है अग्नि पिंड सूर्य
का प्रकाश
प्रकाश का अँधेरे को परास्त करना
है
अज्ञान पर ज्ञान की जीत
पर, कोहरे को परास्त नहीं कर पाता
प्रकाश
क्योंकि, कोहरा अज्ञान नहीं
ज्ञान पर पड़ा अंधेरा है
तलाशते रहेंगे अनवरत अनंत काल तक
अपनों के बीच अपनी जमीन
सबके साथ
जब तक छाया रहेगा मानव के मष्तिष्क में
ईश्वर और धर्म के भय का गहरा कोहरा
जिसे फैलाते हैं
उसी अस्तित्वहीन ईश्वर के धर्मी दूत
समय आ गया है, पहचाने उन्हें
फैला रहे हैं जो ज्ञान पर
घुप्प, शुभ्र घना कोहरा
समय रहते यदि रोका न इनको
धिक्कारेंगी आने वाली पीढ़ियाँ
सदियों तक हमको
अरुण कान्त शुक्ला
12/02/2016
सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगलकामनाएं
http://savanxxx.blogspot.in
धन्यवाद सावन जी ...
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