शब्द
जहां थोथे पड़ जाते हैं,
संवेदना जहां मर जाती है,
उस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हम,
मनुष्यता जहां खो जाती है,
संवेदना जहां मर जाती है,
उस मोड़ पर आकर खड़े हो गए हम,
मनुष्यता जहां खो जाती है,
दर्द
बयां करने से क्या होगा यहाँ,
मुरदों की ये बस्ती है,
लाशें बिकती हैं महंगी यहाँ,
जिन्दों की जाने सस्ती हैं,
मुरदों की ये बस्ती है,
लाशें बिकती हैं महंगी यहाँ,
जिन्दों की जाने सस्ती हैं,
इंसान
रेंगता यहाँ,
दो हाथों पैरों पर,
सियार भेड़िये चलते दो पांवों पर,
अजब ये बस्ती है,
दो हाथों पैरों पर,
सियार भेड़िये चलते दो पांवों पर,
अजब ये बस्ती है,
सांस लेने को अगर कहते हो ज़िंदा रहना,
तो हम ज़िंदा हैं,
तो हम ज़िंदा हैं,
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