जिन्दगी बस एक कामेडी है..
जिन्दगी
और कुछ नहीं,
बस
एक कामेडी है,
काने
को देख लोग हंसते हैं,
फटे
बाने को देख लोग हंसते हैं,
लूले
को देख लोग हंसते हैं,
पागल
को देख लोग हंसते हैं,
कोई
गिर पड़े तो लोग हंसते हैं,
और
तो और लोगों ने सजा लिए हैं,
अब
श्मशान इस तरह कि,
अब
श्मशान वैराग्य भी नहीं होता,
उधर
मुर्दा जलता है,
इधर
लोग हंसते हैं,
जिन्दगी
में त्रासदी अब कहाँ,
भूखे
अब विकास को देख हंसते हैं,
इसीलिये
तो,
जिन्दगी
और कुछ नहीं,
बस
एक कामेडी है,
अरुण कान्त
शुक्ला,
28अगस्त,
2013
HAR INSAAN KI KAHANI SIR JI
ReplyDeleteसच है,,नरेन्द्र जी..
Delete