ईश्वर भी अब मालिक हो गया है
पत्थर
के देवता अब जमाने को रास नहीं आते
संगमरमर
के गढ़े भगवान हैं अब पूजे जाते,
ईश्वर
किसी मालिक से कम नहीं
मुश्किल
है उसका मिलना रास्ते में आते जाते,
भक्त
को नहीं जरूरत कभी मंदिर जाने की
भगवान
उसके तो उसके साथ ही हैं उठते,
बैठते, खाते,
मंदिर
के भगवान से बेहतर तो राह के पत्थर हैं
राही
को ठोकर मारकर हैं चेताते,
राह
के पत्थरों को ध्यान से देखते चलना
राह
भूलने पर ये ही हैं रास्ता बताते,
जाने
कैसे लोग हैं वो जिनके दिल पत्थर के हैं
हम
तो दिल पर पत्थर रखकर जीवन हैं बिताते,
अरुण कान्त
शुक्ला, 12/10/2017
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