फहराएंगे कल तिरंगा आराम से
हाकिम का नया क़ायदा है रहिये आराम से,
गुनहगार अब पकडे जायेंगे नाम से,
गुनहगार अब पकडे जायेंगे नाम से,
हाकिम को पता है उसकी बेगुनाही,
वो तो सजावार है उसके नाम से,
वो तो सजावार है उसके नाम से,
उसका सर झुका रहा कायदों की किताब के सामने,
हाकिम को चिढ़ है उस किताब के नाम से,
हाकिम को चिढ़ है उस किताब के नाम से,
जो जंग-ऐ- आजादी
से बनाए रहे दूरियां,
फहराएंगे कल तिरंगा आराम से,
फहराएंगे कल तिरंगा आराम से,
अरुण कान्त शुक्ला, 14 अगस्त 2017
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