मेरी कवितायें..
Wednesday, August 19, 2015
मूर्खों को हमने सर बिठाकर रखा है,
मूर्खों को हमने सर बिठाकर रखा है
एक दिन किसी ने मुझसे पूछा
तलवार ज्यादा मार करेगी या फूल,
मैंने कहा, तलवार,
तो उसने कहा
फिर कविता में इतना
रस क्यूं,
सीधे कहो न कि मूर्खों को हमने सर बिठाकर रखा है,
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