Sunday, May 16, 2021

तब ये प्रश्न उठना जायज है...मरा कौन है?

 

जब एक सांस सुकून की लेने के लिये

तड़पते, अस्पतालों और सड़क पर दम तोड़ते लोग

न झिंझोड़ पाएँ मस्तिष्क को,

 

जब चिताओं से उठती लपटें

जिनमें अपनों ने खुद लिटाया है अपनों को

न झिंझोड़ पाएँ मस्तिष्क को

 

जब गंगा तट पर लगे न जाने कहाँ से बहकर आए शवों को

कोओं, गिद्धों और कुत्तों का भोजन बनते देखना भी

न झिंझोड़ पाये मस्तिष्क को

 

जब गंगा तट पर रेट में दबे शव

उठकर खड़े हो जाएँ और मांगने लगें अपना अधिकार

और यह दृश्य भी

न झिंझोड़ पाये मस्तिष्क को

 

तब ये प्रश्न उठना जायज है

मरा कौन है?

 

अरुण कान्त

17/05/2021


2 comments:

  1. आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है. ऐसे ही आप अपनी कलम को चलाते रहे. Ankit Badigar की तरफ से धन्यवाद.

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    1. ध्न्यवाद अंकित भाई...

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