Tuesday, December 4, 2018

अपने इस दौर में


इस दौर में जो चुप हैं,
जाहिर है वो बच जायेंगे,
पर, ये कोई अकेला दौर नहीं है,
कि, वो हमेशा के लिये बचे रह पायेंगे,
इस दौर के बाद एक दौर और आयेगा
उन्हें मारने के लिये
जो पहले दौर में चुप थे
जाहिर है, हुकूमत को हर दौर में पता होता है
हुकुम के खातिर कौन है
हुकुम के खिलाफ कौन है,

तूफान के सामने सीना तानकर,
जो खड़ा रह पाएगा,
जाहिर है, तूफान उसके सर से गुजर जाएगा,
जो खड़े होंगे, तूफान की तरफ पीठ करकर,
जाहिर है, तूफान उन्हें साथ उड़ा ले जायेगा,

ये दौर उनका है,
जो भीड़ से कभी हाँ, कभी न,
कहलवाते कहलवाते, आए हैं हुकूमत में,
जाहिर है, हुकूमत भी उनने सौंप दी है,
भीड़ के हाथों में,
इसमें नई कोई बात नहीं,
यही किया था इस हुकुम ने,
अटल के दौर में,
जाहिर है, इससे अलग कुछ और वो नहीं कर सकता था,
अपने इस दौर में,

अरुण कान्त शुक्ला
4/12/2018


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