Monday, September 17, 2018

साफ़ सुथरा कचरा और जीने के लिए मरने की लाचारी

साफ़ सुथरा कचरा और जीने के लिए मरने की लाचारी

ख़ूबसूरत कपड़े
शानदार सहायक
साफ़ सुथरा कचरा
ये सब सफाई कर्मचारियों को मिल जाए तो..
गलतफहमी में न रहिये,
प्रधानमंत्री हैं ये सफाई कर्मचारी नहीं,
इसी दिल्ली में ८ दिन पहले सीवरेज की जहरीली गैस से ५ और मरे थे
वे भी सिर्फ कर्मचारी थे सफाई कर्मचारी नहीं
मगर नौकरी उनकी मजबूरी थी
मालिक जो कहे करना लाचारी थी,
जिंदगी से था उन्हें इतना प्यार,
मृत्यु का भय गया उसके सामने हार, 

१२५ करोड़ के देश में यदि हर साल,
सीवरेज की जहरीली गैस से
मर जाएँ कुछ जिनकी संख्या हो सिर्फ दहाई में,
कुछ लोग जरुर होंगे,
राष्ट्र द्रोही नस्ल के
कुछ दिन बहस करेंगे चैनल और अखबार में
फिर गुम हो जायेंगे खबरों के व्यापार में
और हम फिर देखेंगे
ख़ूबसूरत कपड़े
शानदार सहायक,
साफ़ सुथरा कचरा
और, प्रधानमंत्री,
वो कभी नहीं बदलते,
और नहीं बदलते उनके ख़ूबसूरत परिधान,
पर जरुर बदलते रहेंगे मरने वाले सीवरेज की गैस से,
नहीं यदि कुछ बदलेगा,
तो, वह उनकी जीने के लिए मरने की लाचारी,

अरुण कान्त शुक्ला

16 सितम्बर 2018