Tuesday, January 3, 2017

और कारवां...

और कारवां

न वाह वाह का शोर
न तालियों की गडगडाहट
न मित्रों की पीठ पीछे दी गईं गालियाँ
न भीड़ में पारित निंदा प्रस्ताव
कोई भी तो मुझे डिगा नहीं सका
मेरे चेहरे पर न एक दाग लगा सका
सबसे बेखबर बेपरवाह
आज भी मैं बढ़ रहा हूँ मंजिल-ऐ-ज़ानिब की ओर
कारवां के साथ
और कारवां
वह तो बनता गया
मंजिल की तरफ बढ़ते
मेरे हर कदम के साथ

9/2/2016  

सदियों बाद की पीढी भी ...

सदियों बाद की पीढ़ी भी

एक दिन होगा राज हमारा |2|
हिसाब तुम्हारा किया जाएगा |2|
छांट छांट कर |2|
छांट छांट कर एक एक गुनाह की,
सज़ा मुकर्रर की जायेगी|2|
जब होगी मौत तुम्हें|2|
जब होगी मौत तुम्हें धरती के,
इतने नीचे दफ़न किया जाएगा|2|
सदियों बाद की पीढ़ी को|2|
सदियों बाद की पीढ़ी को जब,
मिलेंगी हड्डियां तुम्हारी,
जब मिलेंगी हड्डियां तुम्हारी,   
वे भी गायेंगी उन्हें देखकर|2|
हर जुल्मी की|2|
हर युग में,
गत ऐसी ही की जाएगी|2|
सदियों बाद की पीढ़ी भी|2|
आज के विजय गीत गायेगी|2|
एक दिन होगा राज हमारा|2|
हिसाब तुम्हारा किया जाएगा|2|   

अरुण कान्त शुक्ला

1/1/2017