Sunday, November 27, 2016

प्रधान सेवक के अवतार में

28नवम्बर,2016 को समर्पित  
प्रधान सेवक के अवतार में  

थर थर कांपते आक्रोश से 
खड़े हैं कतार में 
राष्ट्र प्रेमियों का आतंक सख्त 
कह भी नहीं सकते 
राक्षस आया है सत्ता में 
साधू के अवतार में

दिखा रहे लक्ष्मण रेखा 
फरियादी से काजी तक को
नहीं किसी की कहीं कोई सुनवाई 
हर पल, हर क्षण 
कर रहे सीता हरण
राम के अवतार में

चोर-लुटेरों की बन आई है 
हाथों में उनके सौंपकर, चाबी नगरी की 
सो रहा राजा 
सत्ता-मद में चूर
ये किसका शासन है नगरी में? 
प्रधान सेवक के अवतार में

अरुण कान्त शुक्ला 
27
नवम्बर, 2016

Wednesday, November 23, 2016

दिल के दर्द की बात होती है

दिल के दर्द की बात होती है

कुछ दिन भूखे रहकर गुजारिये , 
पता चलेगा मुफलिसों में भी जान होती है, 
उजाले की बात करने वालो, 
दियों से तो अमावस की कारी रात भी उजरी होती है, 
पेट में रोटी न हो तो , 
दिन में भी रात होती है, 
स्लम में रहकर देखिये , 
कैसे दिन में भी रात होती है,
अनुभव की बात हैं सभी, 
सर झुकाकर देखने पर ही, 
दिल के दर्द की बात होती है,


अरुण कान्त शुक्ला 
२२नवम्बर , २०१६

वो मगरमच्छ भी अब शर्माते हैं

वो मगरमच्छ भी अब शर्माते हैं

भूख को धैर्य रखना समझाते हैं, बात उनकी निराली है, 
आँखों को समझो समुन्दर, और आंसुओं का खारा पानी बताते हैं,

बात करो आज की, तो हजार साल पीछे जाते हैं,
धन्य है वो पाठशाला और गुरु, जहां आँखों वालों को अंधा बनाते हैं,

पंडित-पुरोहित, शादीशुदा-गैरशादीशुदा, बीच में रिक्त स्थान,
उन्हें खुद नहीं मालूम, वो जताना क्या चहाते हैं,

चापलूसी प्रिय है राजा को, भीड़ खड़ी की है चापलूसों की,
तर्क संगत बात करने वालों को, चापलूस देश-द्रोही ठहराते हैं,

बात-बात में नीचे मुंह कर सुबकियां लेना, राजा का शगल अनोखा है,
ऐसे टसुए देख, बचपन में खेला जिनसे, वो मगरमच्छ भी अब शर्माते हैं,

अरुण कान्त शुक्ला
24/11/2016

          

Saturday, November 19, 2016

रोटी अब चाँद हो गयी है

रोटी अब चाँद हो गयी है

न मेरा कोई पक्षकार है 
न मेरा कोई पक्ष है 
रिरियाती जनता है 
मिमयाता विपक्ष है ।

औंधे मुहं पड़ा सुखों का संसार है 
उसके ऊपर ठहाके लगाता दुखों का पहाड़ है 
मरी हुई संवेदनाओं के बीच 
मनुष्य भी बना भक्ष्य है ।।

राजा के चारणों के बीच 
बुद्धि बेआवाज है 
 
झूठों के नक्कारों की गूंज के बीच 
 
सत्य बना तूती की आवाज है।।।

चाँद अब रोटी सा नहीं दिखता 
रोटी अब चाँद हो गयी है 
रोज नहीं जलते दिवाली के दिए
पर, रात रोज अब अमावस हो गई है।।।।

राजा अंधा, दरबारी अंधे, संतरी बहरे 
सब करते सिर्फ 'मन की बात'
उनके बीच, न मेरा कोई पक्ष है 
न मेरा कोई पक्षकार है।।।।।

अरुण कान्त शुक्ला 
20
नवम्बर
,2016

Monday, November 7, 2016

जिस दिन आपका खाता भर जाएगा

जिस दिन आपका खाता भर जाएगा 

ईन्साफ अब कुछ इस कदर जल्द मिलने लगा है, 

अदालत काजी मुंसिफ की जरुरत न रही, 

सजा-ऐ-मौत भी अब सड़क पर तुरंत मिलने लगी है,

सवाल न पूछिए अब, 

सवाल पूछने से पहले ही हर सवाल का जबाब मिलने लगा है, 

शिकायत न करिये, 

कोई है जो आपकी शिकायतों का खाता लिखने में लगा है, 

सब्र रखिये जिस दिन आपका खाता भर जाएगा, 

वो खुद .65 लेकर आपको निपटाने आपके घर आ जायेगा,

अरुण कान्त शुक्ला
6/11/2016