Friday, July 15, 2016

पत्थर, पहाड़, दिल और झरने


झरने पत्थरों से नहीं
पहाड़ों के दिल से निकलते हैं
कभी देखिये खुद को पहाड़ बनाकर
आंसुओं के झरने फूटेंगे दिल में सुराख बनाकर

दर्द से दिल का रिश्ता
बाती और मोम सा है
किसी के दर्द से पिघले नहीं
वो दिल कैसा है ?

पहाड़ से झरने नीचे झरते हैं
आँख से आंसू नीचे ढलकते हैं
ये बात तेरी मेरी नहीं, उनकी है
जो दिल की जगह पत्थर रखते हैं
4/2/2016 

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