Saturday, July 18, 2015

ये खुशबू कहाँ से आ रही है रोटी की हवाओं में



ये खुशबू कहाँ से आ रही है रोटी की हवाओं में


आता रहा जाता रहा तेरा चेहरा रात भर ख्यालों में

ये चाँद बहुत भटका सावन की घटाओं में ,



भूख से लरजते बच्चे ने पूछा माँ से, माँ,

ये खुशबू कहाँ से आ रही है रोटी की हवाओं में,



तेरे जुमले अब जुल्मों में बदल रहे हैं,

क्या हुआ उन वादों का किये थे जो चुनावों में,



लोग मर रहे हैं, तुम लाश गिन रहे हो,

मुश्किल हो गया है सांस लेना, सड़ांध इतनी है हवाओं में,



तुम्हारी सभाओं में बजती तालियों का राज खुल गया है,

खुद ले जाते हो ताली बजाने लोगों को सभाओं में,


18/7/2015

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