मुक्तिबोध
के निर्वाण दिवस(11 सितम्बर)पर विनम्र श्रद्धांजली स्वरूप...
पता
नहीं..
जारी है
नारी देह की आदि तलाश
इसके लिए
किये जाते हैं अनन्य जतन
कभी
बहलाकर, कभी फुसलाकर,
कभी
रिश्ते बनाकर,
कभी
रिश्ते तोड़कर,
कभी डराकर,
कभी धमकाकर
कभी
मृत्यु का भय दिखाकर
कभी
मृत्यु तक पहुंचाकर,
जारी रहती
है नारी देह की यह आदिम तलाश
आदम को
हव्वा कभी की मिल चुकी है
और सबके
पास हैं अपनी अपनी हव्वा
पर कभी रुकेगी
क्या देह की ये तलाश
पता
नहीं...
अरुण कान्त शुक्ला, 10/9/2014