मेरी कवितायें..
Monday, July 22, 2013
उन्हें अंगार ठंडे लग रहे हैं
उन्हें अंगार ठंडे लग रहे हैं
वो आग से इतनी दूर बैठे हैं,
कि, आंच उन तक पहुँचती नहीं
,
उन्हें अंगार ठंडे लग रहे हैं,
हमसे कहते हैं कि अंगारों से खेलो
,
क्यों
,
इसलिए कि वो दूर बैठे हैं
कि
,
आंच उन तक पहुँचती नहीं
,
Saturday, July 20, 2013
ये धरती मेरी है..
ये धरती मेरी है,
ये आसमां मेरा है,
तुम्हें नहीं दिखता जो समां ,
वो समां बहुत गहरा है,
तुम देखते रहो,
मुक्त करा लूंगा मैं दोनों को,
ये आज भी मेरा है,
वो कल भी मेरा है,
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